यूक्रेन ने रूसी सेना पर वैक्यूम बम इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। यह बम इतना खतरनाक है कि इसके इस्तेमाल पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगा हुआ है। अमेरिका और रूस ने 1960 के दशक में वैक्यूम बम को बनाया था। यह बम शहरों को मलबे में बदलने की ताकत रखता है। इसमें इंसान को भाप बनाने की भी क्षमता है।
वैक्यूम बम को थर्मोबैरिक हथियार भी कहा जाता है। यह अब तक विकसित सबसे शक्तिशाली गैर-परमाणु हथियारों में से एक है। यही कारण है कि इस हथियार को जिनेवा सम्मेलनों के तहत प्रतिबंधित किया गया है। वैक्यूम बम उच्च शक्ति वाले विस्फोटक हथियार है, जो वातावरण का इस्तेमाल कर अपनी मारक क्षमता को कई गुना बढ़ा देता है। वैक्यूम बम फटने के बाद आसपास मौजूद लोगों के आंतरिक अंगों को फाड़ देता है। इसमें शहरों को मलबे में बदलने की भी क्षमता होती है। यही कारण है कि इसके इस्तेमाल के बाद भारी तबाही मचती है।
अभी तक इस बात की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है कि यूक्रेन में रूस ने थर्मोबैरिक हथियारों का इस्तेमाल किया है। लेकिन, कुछ दिनों पहले ही टीओएस -1 रॉकेट लॉन्चर को बेलगोरोड के पास यूक्रेन की ओर जाते हुए देखा गया था। रूसी भाषा में TOS का मतलब तेज आग की लपटे फेंकना होता है। टीओएस-1 बुराटिनो एक फ्यूल एयर एक्सप्लोसिव से हमला करने वाला रॉकेट लॉन्चर है। पश्चिमी देशों ने भी आशंका जताई है कि रूस अब यूक्रेन पर कब्जा करने के लिए खतरनाक हथियारों की तैनाती कर रहा है। अमेरिका में यूक्रेन के राजदूत ने रूसी सेना पर रात भर कीव में प्रतिबंधित थर्मोबैरिक बम का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।1960 में अमेरिका और रूस ने किया था विकसित
थर्मोबैरिक हथियारों को 1960 के दशक में अमेरिका और सोवियत संघ दोनों ने विकसित किया था। सितंबर 2007 में रूस ने अब तक के सबसे बड़े थर्मोबैरिक हथियार में विस्फोट किया, जिससे 39.9 टन के बराबर ऊर्जा निकली थी। दोनों देशों ने ऐसे बमों के कई वर्जन विकसित किए हैं, लेकिन अंतराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण उन्होंने इसे न तो किसी दूसरे देश को बेचा है और न ही सार्वजनिक तौर पर कहीं इस्तेमाल किया है। अमेरिका के थर्मोबैरिक हथियारों के प्रत्येक यूनिट की कीमत 16 मिलियन डॉलर से अधिक आंकी गई है।
कैसे काम करता है वैक्यूम बम
वैक्यूम बम या थर्मोबैरिक हथियार काफी ज्यादा मात्रा में तापमान पैदा करने के लिए आसपास के आक्सीजन का इस्तेमाल करता था। ये पारंपरिक हथियारों की तुलना में बहुत शक्तिशाली विस्फोट को अंजाम देते हैं। इससे धमाके की इतनी तीव्र लहर बनती है कि मानव शरीर तुरंत भाप में बदल जाए। आसपास की ऑक्सीजन का इस्तेमाल करने के कारण वैक्यूम बम पारंपरिक हथियारों की तुलना में ज्यादा तबाही मचाता है। ये हथियार पहले तो हवा में स्प्रे छोड़ते हैं, जिनमें धातु, ज्वलनशील धूल या केमिकल ड्रॉप के बहुत बारीक कण होते हैं।
लोगों को भाप बना देता है वैक्यूम बम
जर्नल ऑफ मिलिट्री एंड वेटरन्स हेल्थ के अनुसार, ये स्प्रे वातावरण में चारों ओर फैल जाते हैं। खासकर शहरी इलाकों और दुश्मनों के बंकर के अंदर तक आसानी से घुस जाते हैं। उसके बाद बम में लगा इग्निशन सोर्स आग को पैदा करता है, जो बहुत तेजी से पूरे इलाके में फैलकर एक जबरदस्त वैक्यूम बनाता है। इस कारण हुए विस्फोट की ताकत इतनी ज्यादा होती है कि घरों की छतें तक उड़ जाती हैं। बंकर बर्बाद हो जाते हैं और उसमें मौजूद लोगों के शरीर से छिथड़े उड़ जाते हैं। पास मौजूद इंसान तो तुरंत भाप में बदल जाता है। दूर के लोगों पर भी इसका इतना प्रभाव पड़ता है कि आंतरिक अंगों में खून बहने लगता है।
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