Extra Tariff on Indian
Extra Tariff on Indian: डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को फिर दिया झटका, कहा अमेरिकी किसानों को बचाने के लिए भारत से आने वाले चावल पर अतिरिक्त टैरिफ लगाया जा सकता है; इससे भारतीय किसानों, निर्यातकों और बाजार में चिंता बढ़ गई है।

भारत: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर फिर सख्त रुख दिखाया है और संकेत दिया है कि अमेरिकी किसानों के हितों की रक्षा के लिए भारत से आने वाले चावल पर जल्द ही अतिरिक्त टैरिफ लगाया जा सकता है। इस बयान के बाद भारतीय किसानों, निर्यातकों और शेयर बाजार में चिंता का माहौल देखा जा रहा है।
🇺🇸 डोनाल्ड ट्रंप ने United States में फिर दिया संकेत — भारतीय चावल (rice) पर हो सकते हैं नए टैरिफ
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ट्रंप ने कहा है कि अमेरिकी किसानों की शिकायतों को ध्यान में रखते हुए, भारत से आयातित चावल पर “नए एक्स्ट्रा ड्यूटी/टैरिफ” लगाने पर विचार किया जा सकता है।
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उनका आरोप है कि भारत “डंपिंग” (dumping) कर रहा है — यानी सस्ते दाम पर भारी मात्रा में चावल भेजकर अमेरिकी खेतिहर उद्योग को नुकसान पहुँचा रहा है।
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इस बीच, अमेरिका ने पहले ही भारतीय कई वस्तुओं — जिनमें कुछ कृषि व अन्य उत्पाद शामिल थे — पर 50% तक टैरिफ लगा रखा है।
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🔎 क्या है पूरा हाल — क्या है असर
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ट्रंप ने कहा है कि अगर विदेशी चावल सस्ते दाम पर आ रहे होंगे और अमेरिकी किसानों को नुकसान हो रहा होगा, तो एक दिन में “टैरिफ लगाना” समस्या हल कर देगा।
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भारतीय चावल एक्सपोर्टर्स और शेयर-मार्केट ने इस खबर पर नकारात्मक रिएक्शन दिया है — कई प्रमुख चावल निर्यातक कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखी गई है।
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हालांकि, आंकड़ों में देखा जाए तो, भारत से अमेरिका को भेजा जाने वाला चावल भारत के कुल निर्यात चावल का एक छोटा हिस्सा है: उदाहरण के लिए, FY24 में अमेरिका के लिए निर्यात 2.34 लाख टन था — जो भारत की कुल वैश्विक बासमती निर्यात का करीब 5% है।
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इसलिए, कई विशेषज्ञों का कहना है कि “चावल产业” पर सामान्य प्रभाव सीमित रह सकता है — लेकिन जिन निर्यातकों/खेतिहर साझेदारों का अमेरिका पर निर्भरता है, उन पर असर हो सकता है।
🌾 किसानों, निर्यातकों और भारत-अमेरिका व्यापार पर इसका मतलब
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यदि नए टैरिफ लागू होते हैं — तो अमेरिकी बाजार में भारतीय चावल की कीमत बढ़ सकती है, जिससे भारतीय निर्यातकों का मुकाबला कठिन हो जाएगा।
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निर्यात पर निर्भर करने वाले किसान, मिल्स, निर्यात कंपनियों और उन उद्योगों में цеп कम्पनियाँ परेशानी झेल सकती हैं जो अमेरिका-बेस्ड डिमांड पर काम करते हैं।
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यह मामला सिर्फ चावल तक सीमित न रहकर, अन्य कृषि व खाद्य वस्तुओं (जिन पर पहले से टैरिफ है) — निर्यातों व ट्रेड वार्ता दोनों को प्रभावित कर सकता है।
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इसके अलावा, इस कदम से भारत–अमेरिका के बीच व्यापार वार्ताओं (trade negotiations) पर भी असर पड़ने की संभावना है, क्योंकि कृषि उत्पाद अक्सर द्विपक्षीय समझौतों में संवेदनशील विषय होते हैं।
⚠️ क्या है असली नुकसान, और कितना (कहने की स्थिति)
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अमेरिका को भेजा जाने वाला भारतीय चावल, भारत की पूरी निर्यात में छोटा हिस्सा है — इसलिए “पूरे चावल उद्योग” को बड़ा झटका होने की संभावना कम है।
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लेकिन जो किसान और निर्यातक अमरीकी मार्केट पर निर्भर हैं — खासकर यदि उनकी मार्केटिंग, उत्पादन या लॉजिस्टिक स्ट्रक्चर अमेरिका-केंद्रित है — वो प्रभाव देख सकते हैं।
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शेयर बाजार में पहले ही रिएक्शन दिखा है: निर्यात-कंपनियों के शेयरों में गिरावट आई है।
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वहीं, दूसरी ओर, जो निर्यात खाड़ी, यूरोप व अन्य देशों को करते हों — उनके लिए अमेरिका टैरिफ से प्रभावित न होने का मौका हो सकता है।
🧭 आगे क्या हो सकता है — क्या भारत कर सकता है
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मौजूदा बाजारों का रीडायरेक्शन — निर्यातक भारत को यूरोप, मिडिल ईस्ट या अन्य देशों की तरफ झुका सकते हैं, जहाँ मांग रहेगी।
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सरकारी हस्तक्षेप — भारत सरकार व निर्यात संघटनाएँ (export federations) अमेरिकी खतरे का जवाब देते हुए वैकल्पिक मार्केट खोज सकती हैं, या डिप्लोमैटिक/ट्रेड वार्ता तेज कर सकती हैं।
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किसानों व निर्यातकों को जागरूक करना — किसानों को उत्साहित करना कि वे विभिन्न बाजारों व विविध उपज (diversified crop + export destinations) पर निर्भर रहें।
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निर्यात रणनीति व मूल्य निर्धारण की समीक्षा — कीमतों को प्रतिस्पर्धी बनाए रखने के लिए नया मॉडल अपनाना, ताकि अमेरिकी टैरिफ का असर कम हो।
अगर आप चाहें — तो मैं देख सकता हूँ कि भारत से अमेरिका को चावल एक्सपोर्ट करने वाले प्रमुख निर्यातकों कौन-कौन हैं, और उन्हें इस टैरिफ खतरे से क्या-क्या आर्थिक असर हो सकता है — इससे आपको “किसानों/निर्यातकों की चिंता” की गहराई समझ में आएगी। क्या मैं वो सूची बना दूं?