Artificial Rain in Delhi
Artificial Rain in Delhi: दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए पांच बार कृत्रिम बारिश कराने की योजना बनाई है। इसके लिए लगभग 3.2 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है, अनुमति की प्रक्रिया जारी।
दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए पांच बार कृत्रिम बारिश कराई जाएगी, करीब 3.2 करोड़ (Artificial Rain in Delhi) खर्च होंगे। सरकार ने प्रक्रिया शुरू की, IIT कानपुर तकनीकी सहयोग देगा।

दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कृत्रिम वर्षा (क्लाउड सीडिंग) की योजना बनाई है, जिसमें पांच बार बारिश कराई जाएगी। इस पहल का उद्देश्य प्रदूषकों को वायुमंडल से हटाकर वायु गुणवत्ता में सुधार करना है।
🌧️ योजना का विवरण
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प्रयोगों की संख्या: कुल 5 क्लाउड सीडिंग उड़ानें प्रस्तावित हैं।
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कवरेज क्षेत्र: प्रत्येक उड़ान लगभग 100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर करेगी, मुख्यतः दिल्ली के बाहरी या उत्तर-पश्चिमी जिलों में।
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तकनीकी साझेदारी: IIT कानपुर इस परियोजना में तकनीकी सहयोग प्रदान कर रहा है, जिसमें एक विशेष रूप से संशोधित विमान का उपयोग किया जाएगा।
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अनुमोदन स्थिति: वर्तमान में, विशेष सुरक्षा समूह (SPG) ने अनुमति दी है, जबकि अन्य केंद्रीय एजेंसियों से अनुमोदन लंबित हैं। t
💰 लागत और वित्तीय विवरण
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प्रति उड़ान लागत: लगभग ₹55 लाख।
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कुल अनुमानित लागत: ₹3.2 करोड़, जिसमें ₹66 लाख उपकरण और लॉजिस्टिक्स के लिए शामिल हैं।
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प्रति वर्ग किलोमीटर लागत: IIT कानपुर के अनुसार, ₹1 लाख।
⚠️ चुनौतियाँ और सीमाएँ
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मौसम पर निर्भरता: क्लाउड सीडिंग की सफलता उपयुक्त नमी और बादलों की उपलब्धता पर निर्भर करती है, जो दिल्ली में हमेशा अनुकूल नहीं होती।
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अस्थायी प्रभाव: विशेषज्ञों के अनुसार, कृत्रिम वर्षा से प्रदूषण में कमी केवल कुछ दिनों तक रहती है, जिससे यह दीर्घकालिक समाधान नहीं माना जाता।
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लागत-प्रभावशीलता: उच्च लागत और सीमित प्रभाव के कारण, विशेषज्ञ इस उपाय को अल्पकालिक समाधान मानते हैं और स्रोत-आधारित प्रदूषण नियंत्रण पर जोर देते हैं।
🧪 निष्कर्ष
Artificial Rain in Delhi: कृत्रिम वर्षा दिल्ली के वायु प्रदूषण से अस्थायी राहत प्रदान कर सकती है, लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं है। दीर्घकालिक सुधार के लिए, स्रोत-आधारित प्रदूषण नियंत्रण उपायों को प्राथमिकता देना आवश्यक है।