ऑनलाइन बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार के मामले को लेकर एक नया स्टडी किया गया है. जिसके डिटेल काफी चौंकाने वाले आ रहे है.स्टडी में पाया गया है कि किशोर लड़कियों और लड़कों से इंटरनेट के जरिए अनजान लोग संपर्क साधने की कोशिश कर रहे है
नई दिल्ली:पुरा विश्व आज इंटरनेट से कनेक्ट होता जा रहा है जिसका फायदा सब लोगों को हो रहा है. इंटरनटे के इस जमाने दिन प्रतिदिन क्राइम बढ़ते जा रहे है. अब यह क्राइम टीनएजर तक पहुंच गया है. ऑनलाइन बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार (ocsea) के मामले को लेकर एक नया स्टडी किया गया है. जिसके डिटेल काफी चौंकाने वाले आ रहे है.
स्टडी में पाया गया है कि किशोर लड़कियों और लड़कों से इंटरनेट के जरिए अनजान लोग संपर्क साधने की कोशिश करे है वही कई लोग बच्चों से परिवार की निजी जानकारी तक मांग रहे है.
सर्वे में पाया गया है कि
चाइल्ड राइटस एंड यू नाम की गैर-सरकारी संगठन ने एक सर्वे किया है जिसमें कहा गया है कि इंटनेट के जरिए अनजान लोग किशोर लड़कियों और लड़को से सम्पर्क कर रहे है. सर्वे में पाया गया है कि बच्चों से फेमली डिटेल और पर्शनल डिटेल मांगे जा रहे है. वही कई ऐसे मामले सामने आये है जिसमें रिलेशनशिप के बारे में सलाह और सेक्स से संबंधित बाते की जा रही है.
स्टडी में पाया गया है कि अजनबियों के जवाब देने में forty प्रतिशत किशोर लड़कियों ने और वही 33 प्रतिशत लड़को ने जवाब दिया है. इनकी उम्र महज 14 से 18 साल के बीच है. वही चौंकाने वाली बात ये है कि 70 प्रतिशत माता-पिता ने कहा कि वो इन सब को क्राइम न मानते है और पुलिस में इसकी शिकायत नहीं करेंगे.
राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरों(NCRB) के मुताबिक
प्राप्त जानकारी के मुताबिक बच्चों से यौन अपराध को रोकने के लिये पोक्सो एक्ट 2013 के 10 साल होने पर यह सर्वे चाइल्ड राइटस एंड यू ने पटना की चाणक्या नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी(CNLU) के साथ मिलकर किया है. यह सर्वे महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और पंश्चिम बंगाल में किया गया है जहां क्राइम अगेंस्ट चाइल्ड ज्यादा है राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरों(NCRB) के मुताबिक. इस सर्वे में इन राज्यों के 424 माता-पिता और 384 शिक्षकों को शामिल किया गया.
सर्व में पाया गया कि केवल 30 प्रतिशत माता-पिता ने कहा कि वो इसकी शिकायत पुलिस में करेंगे. वही केवल sixteen प्रतिशत माता-पिता ने कहा कि वो इस तरह के अपराध से संबंधित कानून जानते है. चौंकाने वाली बात ये है कि 66.eight प्रतिशत माता ने इन सवालों पर कोई जवाब नहीं देने से इंकार कर दिया. वही मात्र four प्रतिशत माता-पिता ने स्वीकार किया कि उनके बच्चों ने इनके बारे में जानकारी साझा की. दूसरी ओर 53.nine प्रतिशत शिक्षकों ने कहा कि ऑनलाइन ग्रूमिंग की वजह से बच्चों के व्यवहार में बदलाव नजर आये है.
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