Uttarkashi Tunnel Collapse: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में ढही सुरंग, मजदूरों के रेस्क्यू के लिए लगाई गई अमेरिकन ऑगर मशीन, जानिए क्या है पूरा मामला

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Uttarkashi Tunnel Collapse: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में ढही सुरंग में फंसे 40 मजदूरों को निकालने का प्रयास आज 5वें दिन भी जारी है. पिछले 96 घंटे से ये मजदूर सुरंग में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं. सुरंग में फंसे हुए श्रमिकों को भोजन और दवाओं की आपूर्ति की जा रही है. रेस्क्यू दल श्रमिकों के साथ नियमित बातचीत कर रहा है

रेस्क्यू टीम ने योजना बनाई है कि’ अमेरिकन ऑगर’ मशीन से ढहे हुए हिस्से के मलबे को ड्रिल किया जाएगा. इसमें 800- मिमी और 900- मिमी व्यास के हल्के स्टील पाइप एक के बाद एक कर डाले जाएंगे. अगर टीम ऐसा करने में सफल रही, तो इसी पाइप के सहारे दूसरी तरफ फंसे मजदूरों को बाहर निकाला जा सकता है.

Uttarkashi Tunnel Collapse
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उत्तराखंड: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में ढही सुरंग में फंसे 40 मजदूरों को निकालने का प्रयास आज 5वें दिन भी जारी है. पिछले 96 घंटे से ये मजदूर सुरंग में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं. सुरंग में फंसे हुए श्रमिकों को भोजन और दवाओं की आपूर्ति की जा रही है. रेस्क्यू दल श्रमिकों के साथ नियमित बातचीत कर रहा है, ताकि मजदूरों में जिंदा रहने की आशा बनी रहे. दूसरी ओर मजदूरों को निकालने के लिए पास बनाने का प्रयास भी जारी है. इसके लिए वायुसेना के तीन परिवहन विमानों से एक भारी ड्रिलिंग मशीन को दिल्ली से एयरलिफ्ट किया गया.

Uttarkashi Tunnel Collapse: दरअसल, ब्रह्मखाल- यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिल्क्यारा और डंडालगांव के बीच4.5 किलोमीटर लंबी सुरंग बन रही है. 12 नवंबर को सुरंग का एक हिस्सा ढह गया. इससे मजदूर सुरंग के अंदर ही फंस गए. इन्हें निकलने के लिए चार दिन से रेस्क्यू अभियान जारी है. लेकिन अभी तक कोई खास सफलता नहीं मिली. उधर, कुछ मजदूरों ने सुरंग के पास विरोध प्रदर्शन भी किया और रेस्क्यू के धीरे होने का आरोप लगाया

अमेरिकी ड्रिल मशीन का होगा इस्तेमाल

Uttarkashi Tunnel Collapse: रेस्क्यू टीम ने योजना बनाई है कि’ अमेरिकन ऑगर’ मशीन से ढहे हुए हिस्से के मलबे को ड्रिल किया जाएगा. इसमें 800- मिमी और 900- मिमी व्यास के हल्के स्टील पाइप एक के बाद एक कर डाले जाएंगे. अगर टीम ऐसा करने में सफल रही, तो इसी पाइप के सहारे दूसरी तरफ फंसे मजदूरों को बाहर निकाला जा सकता है. बताया जा रहा है कि ये अमेरिकी ड्रिल मशीन 5M प्रति घंटे की स्पीड से टनल को काट सकती है.

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अधिकारियों ने बताया कि पहली ड्रिलिंग मशीन बहुत धीमी थी और तकनीकी समस्याएं पैदा हो गईं. इतना ही नहीं मंगलवार को सुरंग के अंदर मलबा गिरने से भी मशीनों को नुकसान पहुंचा है. इस दौरान दो बचावकर्मी भी घायल हो गए. समाचार एजेंसी के मुताबिक, गुरुवार को अमेरिकी ऑगर मशीन इंस्टॉल कर दी गई है. जल्द ही रेस्क्यू अभियान शुरू हो जाएगा. नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी के पीआरओ जीएल नाथ ने बताया कि अंदर जो लोग फंसे हैं, वे स्वस्थ्य और ठीक हैं.

फंसे हुए मजदूरों को खाद्य सामग्री की आपूर्ति

Uttarkashi Tunnel Collapse: NHIDCL डायरेक्टर अंशू मनीष खलखो ने बताया कि यह मशीन 10 घंटे में 50 मीटर तक खुदाई कर लेगी. उन्होंने कहा, नई मशीन लाने का मकसद फंसे लोगों को निकालने का रास्ता तैयार करने की प्रक्रिया में तेजी लाना है. मनीष खलखो ने बताया कि फंसे हुए मजदूरों को खाद्य सामग्री की आपूर्ति करने के लिए मलबे में पाइप डाला गया है. पहले इसे ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए डाले गए पाइप के माध्यम से किया जा रहा था.

उत्तरकाशी के जिला मजिस्ट्रेट अभिषेक रुहेला ने कहा कि अधिकारी फंसे हुए श्रमिकों के साथ लगातार संपर्क बनाए हुए हैं और उनसे धैर्य न खोने के लिए कह रहे हैं. टिहरी सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह ने भी सुरंग का दौरा किया. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें फंसे हुए मजदूरों को निकालने में तेजी लाने के लिए सभी तकनीकी सहायता प्रदान कर रही हैं. उधर, आधिकारिक बयान में कहा गया है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इंदौर में होने के बावजूद सिल्क्यारा में बचाव अभियान की लगातार निगरानी कर रहे हैं.

 

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