
Action on Private Schools
Action on Private Schools: फरीदाबाद के 364 निजी स्कूलों ने शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए आरक्षित सीटों की जानकारी पोर्टल पर अपलोड नहीं की, शिक्षा विभाग ने चेतावनी दी, जल्द जानकारी नहीं देने पर होगी कड़ी कार्रवाई।
फरीदाबाद के 364 निजी स्कूलों ने शिक्षा का अधिकार (RTE) के तहत आरक्षित (Action on Private Schools) सीटों की जानकारी पोर्टल पर नहीं दी, शिक्षा विभाग ने चेतावनी दी, समय पर जानकारी न देने पर होगी सख्त कार्रवाई।

फरीदाबाद में शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के बच्चों के लिए 25% सीटें आरक्षित होती हैं। हालांकि, जिले के लगभग 1200 मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में से केवल 216 स्कूलों (लगभग 18%) ने ही इन आरक्षित सीटों की जानकारी शिक्षा विभाग के पोर्टल पर अपलोड की है। इससे RTE के तहत दाखिला प्रक्रिया में देरी हो रही है, जिससे अभिभावकों में चिंता बढ़ रही है।
शिक्षा विभाग की कार्रवाई
Action on Private Schools: शिक्षा निदेशालय ने निजी स्कूलों को अंतिम चेतावनी देते हुए मंगलवार तक आरक्षित सीटों की जानकारी पोर्टल पर अपलोड करने का निर्देश दिया है। यदि स्कूल इस निर्देश का पालन नहीं करते हैं, तो उनके खिलाफ मान्यता रद्द करने जैसी कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।
RTE अधिनियम के अंतर्गत प्रावधान
Action on Private Schools: RTE अधिनियम, 2009 के अनुसार, सभी मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों को कक्षा 1 या प्रवेश स्तर पर 25% सीटें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और वंचित समूहों के बच्चों के लिए आरक्षित करनी होती हैं। इन बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान की जाती है, और सरकार उनकी फीस का भुगतान करती है।
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अन्य जिलों की स्थिति
Action on Private Schools: गाजियाबाद में स्कूलों की मैपिंग के बाद RTE के तहत सीटों की संख्या में 69% की वृद्धि हुई है, जिससे अब 49,599 सीटें उपलब्ध हैं । वहीं, गुरुग्राम में भी केवल 11% स्कूलों ने ही आरक्षित सीटों की जानकारी दी है, जिससे दाखिला प्रक्रिया प्रभावित हुई है।
निष्कर्ष
Action on Private Schools: फरीदाबाद में RTE अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए शिक्षा विभाग को सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। निजी स्कूलों को सामाजिक उत्तरदायित्व निभाते हुए आरक्षित सीटों की जानकारी समय पर प्रदान करनी चाहिए, ताकि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को शिक्षा का अधिकार मिल सके।