NRL Oil Pipeline: इस पाइपलाइन को 377 करोड़ रूपये की लागत में बनाया गया है जिसमें बांग्लादेश में पड़ने वाला हिस्सा 285 करोड़ रूपये में बना है. इसका भुगतान भी भारत सरकार ने ही किया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना शनिवार को दोनों देशों के बीच एक मैत्री तेल पाइपलाइन का उद्धाटन करेंगे. ये उद्धाटन वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिए होगा. भारत की बांग्लादेश के साथ ये पहली तेल पाइपलाइन होगी.
इस पाइपलाइन की क्षमता 10 लाख मैट्रिक टन प्रति साल है. इससे उत्तरी बांग्लादेश के सात राज्यों में हाई स्पीड डीज़ल पहुंचाया जाएगा. इस पाइपलाइन का उद्धाटन मार्च में ज़रूर किया जा रहा है लेकिन इसका कामकाज जून महीने में शुरू होगा.
क्रॉस- बॉर्डर पाइपलाइन असम स्थित नुमालीगढ़ रिफ़ाइनरी लिमिटेड( एनआरएल) मार्केटिंग टर्मिनल से बांग्लादेश पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन( बीपीसी) पारबतीपुर डिपो तक डीज़ल पहुंचाने का काम करेगी.
बांग्लादेश का खर्च बचेगा
NRL Oil Pipeline: भारत के लिए बांग्लादेश उसका अहम पड़ोसी और मित्र है. साल 2021- 22 में बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था और एशिया में भारत के निर्यात के लिहाज़ से सबसे बड़ा देश था.
अब तक बांग्लादेश में तेल भारतीय रेल के ज़रिए भेजा जाता था और इसे सड़क मार्ग से आगे पहुंचाया जाता था. लेकिन अब इस पाइपलाइन के शुरू होने के बाद सड़क यातायात में होने वाला बांग्लादेश का खर्च बचेगा.
पूर्वोत्तर के राज्यों को होगा भारत- बांग्लादेश रिश्तों का फ़ायदा
NRL Oil Pipeline: बांग्लादेश और भारत के बीच ऐसे प्रोजेक्ट्स का बड़ा फ़ायदा त्रिपुरा, असम और मेघालय जैसे पूर्वोत्तर के राज्यों को होता आया है. ये तीन राज्य पूर्वोत्तर में बांग्लादेश से आयात किए जाने वाले सामानों का ज़रिया हैं. इसे समझते हुए बीते कुछ सालों में दोनों देशों की सरकारों ने कई नए प्रोजेक्ट की शुरूआत की है जिससे दोनों देशों की कनेक्टिविटी बढ़े और सीमाएं और खोली जाएं.
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कई मौक़ों पर शेख़ हसीना ने भारत को चट्टोग्राम और मोंगला पोर्ट को इस्तेमाल करने का न्यौता दिया है, जिससे बांग्लादेश और पूर्वोत्तर राज्य असम और त्रिपुरा के बीच सामानों की आवाजाही बेहतर हुई. दोनों देशों के बीच ट्रांसपोर्ट बेहतर करने के लिए साल 2021 में मैत्रेयी सेतु बनाया गया जो त्रिपुरा के सरभूमि के बांग्लादेश के रामगढ़ से जोड़ता है, दोनों देशों को रेल मार्ग से भी जोड़ा गया है.
भारत से तेल लेना तो सस्ता पड़ेगा
NRL Oil Pipeline: दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफ़ेसर और अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार एसडी मुनि कहते हैं कि” कनेक्टिविटी के लिहाज़ से ये एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है जिसका सीधा फ़ायदा बांग्लादेश को होगा. इससे उन्हें भारत से तेल लेना तो सस्ता पड़ेगा ही और तेल उन्हें तेज़ गति से भी मिलेगा जो वहां की इंडस्ट्री के लिए बेहतर होगा.”
आने वाले वक़्त में, बांग्लादेश को अपनी ऊर्जा सुरक्षा और सस्टेनेबल एनर्जी के लिए ख़ुद को तैयार करना होगा. रूस- यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया भर में ऊर्जा सुरक्षा एक अहम मुद्दा बन चुका है. ऐसे समय में बांग्लादेश तक जाने वाला भारत का पावर कॉरिडोर उसके लिए एक सकरात्मक शुरुआत है.
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