India Space Technology: PM नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में भारत स्पेस टेक्नोलॉजी में बन रहा है सुपरपावर

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India Space Technology: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में भारत विज्ञान और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में लगातार बड़ी प्रगति की है. अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को लेकर आज भारत दुनिया में अग्रणी देशो में शामिल हो गया है. चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग ने भारत का मान, सम्मान और प्रतिष्ठा दुनिया में बढ़ाया है. आज वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी लगभग 2% है.

भारत आज अंतरिक्ष अनुसंधान (India Space Technology) और विकास में संपूर्ण क्षमताओं वाला अंतरिक्ष यात्रा करने वाले देशों में पांचवां है. देश में 400 से अधिक निजी अंतरिक्ष कंपनियां हैं और अंतरिक्ष कंपनियों की संख्या में विश्व स्तर पर भारत 5वें स्थान पर हैं.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में भारत विज्ञान और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में लगातार बड़ी प्रगति की है. अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को लेकर आज भारत दुनिया में अग्रणी देशो में शामिल हो गया है. चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग ने भारत का मान, सम्मान और प्रतिष्ठा दुनिया में बढ़ाया है. आज वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी लगभग 2% है. यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि पीएम मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व की वजह से भारत वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में इस 2% हिस्सेदारी को लगभग 10% तक बढ़ाने की राह पर हैं.

भारत आज अंतरिक्ष अनुसंधान और विकास में संपूर्ण क्षमताओं वाला अंतरिक्ष यात्रा करने वाले देशों में पांचवां है. देश में 400 से अधिक निजी अंतरिक्ष कंपनियां हैं और अंतरिक्ष कंपनियों की संख्या में विश्व स्तर पर भारत 5वें स्थान पर हैं.

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India Space Technology: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 2014 के बाद से उससे पहले के 10 वर्षों की तुलना में दोगुनी सैटेलाइट्स लॉन्च की हैं. केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के मुताबिक, भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था अब 8 अरब डॉलर की है और इसमें 45,000 लोग काम करते हैं. हरदीप पुरी ने यह भी भरोसा जताया कि यह क्षेत्र अगले 15 साल में 100 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा और इसकी वैश्विक हिस्सेदारी मौजूदा दो प्रतिशत से बढ़कर 10 प्रतिशत हो जाएगी.

भारत 2040 तक चंद्रमा पर मानव भेजने में होगा सफल

India Space Technology: स्पेस टेक्नोलॉजी को लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अतिगंभीर नज़र आते है. यही वजह है कि भारतीय उपग्रह विनिर्माण एक साल में 3.2 अरब डॉलर का हो गया है. भारत अब एंड-टू-एंड तकनीक के साथ अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले देशों में पांचवें स्थान पर है. यहां तक कि सबकुछ ठीक रहा तो भारत 2040 तक चंद्रमा पर मानव भेजने के अपने मिशन में सफल होगा.

स्पेस टेक्नोलॉजी को लेकर पीएम मोदी की गंभीरता का अंदाजा आप इस आंकड़े से लगा सकते है कि 2003 से 2014 तक भारत ने केवल 33 विदेशी सेटेलाइट लॉन्च किया जबकि इस दौरान देश में निर्मित सेटेलाइट लॉन्च करने की संख्या केवल 31 थी. 2014 में देश में सत्ता परिवर्तन हुआ और पीएम मोदी के नेतृत्व में स्पेस टेक्नोलॉजी को लेकर देश की दशा और दिशा बदल गयी. 2014 से लेकर 2023 तक भारत की धरती से 396 विदेशी सेटेलाइट लॉन्च किये गए जबकि इस दौरान 70 देश में निर्मित सेटेलाइट लॉन्च किये गए. ये आंकड़ा और भी बढ़ सकता था, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से 2 सालो में कई प्रोजेक्ट को डिले करना पड़ा.

पिछले साढ़े 9 साल की स्पेस मिशन भूमिका अद्भुत

India Space Technology: जहां तक इस क्षेत्र में बजट आवंटन की बात करें तो 2003 से 2014 तक केंद्र सरकार ने इस क्षेत्र के विकास के लिए केवल 6,792 करोड़ का बजट आवंटित की थी, वहीँ मोदी सरकार ने अंतरिक्ष प्रोद्योगिकी के विकास पर 2014 से अब तक 12, 544 करोड़ के बजट का प्रावधान कर चुकी है.

मोदी सरकार के पिछले साढ़े 9 सालों में स्पेस मिशन और स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में जितनी तरक्की हुई है उसके नजदीक पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर मनमोहन सिंह तक कोई नहीं पहुंचा है. हालांकि कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दल पंडित नेहरू और दूसरे प्रधानमंत्रियों की भूमिका को आगे बढ़ाकर पेश करते हैं लेकिन स्पेस मिशन की पिछले साढ़े 9 साल की अद्भुत, अविस्मरणीय रही है.

मोदी सरकार ने 2020 में खोले प्राइवेट सेक्टर के लिए स्पेस के दरवाजे

India Space Technology: पीएम मोदी के विजन से भारत में अंतरिक्ष सेक्टर को प्राइवेट सेक्टर के लिए खोला गया था. देश में 2020 में प्राइवेट सेक्टर के लिए स्पेस के दरवाजे खोले गए थे. मोदी सरकार चाहती है कि छोटे मिशन का भार जो इसरो पर है, वह प्राइवेट सेक्टर के साथ भागीदारी में उन्हें दिया जाए. इससे इसरो बड़े मिशन पर फोकस कर सके. इससे भारत में कमर्शल मार्केट भी बढ़ेगा. विक्रम मिशन को भी कमर्शल स्पेस मिशन को बढ़ावा देने वाली भारत की नोडल एजेंसी इन-स्पेस ने मंजूरी दी थी. इसके नतीजे अब देखने को भी मिल रहे हैं और इसरो पहले के मुकाबले ज्यादा लांच करने में सक्षम हुआ है.

स्पेस इंडस्ट्री में प्राइवेट सेक्टर की एंट्री, पहला प्राइवेट रॉकेट विक्रम-S लॉन्च

India Space Technology: भारत के लिए 18 नवंबर, 2022 का दिन ऐतिहासिक रहा है . इस दिन भारत ने अंतरिक्ष में ऊंची छलांग लगाते हुए एक नए युग की शुरुआत की. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने देश का पहला प्राइवेट रॉकेट ‘विक्रम-एस’ को लॉन्च किया. इस रॉकेट ने तीन सैटलाइट्स को उनकी कक्षा में स्थापित किया. इसमें दो घरेलू और एक विदेशी ग्राहक के पेलोड शामिल हैं. भारत इस लॉन्च के बाद अमेरिका, रूस, ईयू, जापान, चीन और फ्रांस जैसे देशों के क्लब में शामिल हो गया, जो प्राइवेट कंपनियों के रॉकेट को स्पेस में भेजते हैं.

भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को बढ़ावा देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद घोषणा की है कि देश का लक्ष्य 2040 तक चंद्रमा पर एक अंतरिक्ष यात्री भेजने का है. उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को 2035 तक एक अंतरिक्ष स्टेशन विकसित करने का भी निर्देश दिया. ये महत्वाकांक्षी लक्ष्य ऐसे समय में आए हैं जब भारत पहले से ही अपने चंद्रयान -3 मिशन की सफलता का जश्न मना रहा है.

इसके अलावा, भारत आर्टेमिस कार्यक्रम का भी सदस्य है, जो समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, मनुष्यों को चंद्रमा पर ले जाने और वहां एक स्थायी उपस्थिति स्थापित करने का एक अंतरराष्ट्रीय प्रयास है.

भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष लक्ष्य

India Space Technology: भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को तब बढ़ावा मिला जब अगस्त 2023 में चंद्रमा के अज्ञात दक्षिणी ध्रुव के पास एक अंतरिक्ष यान उतारने वाला पहला देश बन गया. भारत चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग हासिल करने वाला चौथा देश बन गया है. इस सफलता के बाद भारत ने सूर्य का अध्ययन करने के लिए एक रॉकेट लॉन्च किया है.

‘भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन’ की योजना

India Space Technology: प्रधानमंत्री ने निर्देश दिया है कि भारत को अब नए और महत्वाकांक्षी लक्ष्यों का लक्ष्य रखना चाहिए, जिसमें 2035 तक ‘भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन’ (भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन) स्थापित करना और 2040 तक चंद्रमा पर पहला भारतीय भेजना शामिल है.

इस दृष्टिकोण को साकार करने के लिए, अंतरिक्ष विभाग मून एक्सप्लोरेशन के लिए एक रोडमैप विकसित करेगा. पीएम मोदी ने देश के वैज्ञानिकों से शुक्र और मंगल ग्रह पर मिशन पर काम करने के लिए भी प्रेरित किया है.

पहली डेवलपमेंट फ्लाइट टेस्ट व्हीकल (टीवी-डी1) तैयारी के अंतिम चरण में है. टेस्ट व्हीकल एक सिंगल-स्टेज लिक्विड रॉकेट है जिसे इस अबॉर्ट मिशन के लिए विकसित किया गया है.

इसरो का शुक्रयान-1 मिशन

India Space Technology: अपने सफल चंद्रयान-3 और आदित्य-एल1 मिशन के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) हमारे पड़ोसी ग्रह शुक्र पर एक साहसिक नया मिशन शुरू करने की तैयारी कर रहा है. शुक्रयान-1 नामक यह मिशन शुक्र ग्रह के रहस्यों को उजागर करेगा और इस पर बसने की क्षमता के बारे में पता लगाएगा.

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