Bulldoze Temples: धार्मिक मामलों की समिति से मंजूरी मिलने के बाद भी दिल्ली सरकार के गृह विभाग के मंत्री मनीष सिसोदिया के पास अवैध धार्मिक स्ट्रक्चर हटाने के लिए अलग- अलग विभागों की तरफ से भेजे गए 78 प्रस्तावों की फाइलें पेंडिंग पड़ी हैं।
नई दिल्ली सरकारी जमीन पर कब्जा करके अवैध तरीके से खड़े किए गए धार्मिक स्थलों को हटाने की परमिशन से जुड़ी सारी फाइलें एलजी ने अपने पास मंगा ली हैं।
Bulldoze Temples: एलजी ऑफिस से जुड़े अधिकारियों का आरोप है कि इनमें से कुछ फाइलें 2017 से दिल्ली सरकार के पास पेंडिंग पड़ी हुई हैं, लेकिन धार्मिक मामलों की समिति के द्वारा मंजूरी दिए जाने और अन्य सभी औपचारिकताएं पूरी कर लेने के बावजूद दिल्ली सरकार ने अभी तक इन ढांचों को हटाने की परमिशन नहीं दी है।
उप- मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने चिंता जताई
Bulldoze Temples: एलजी के आदेश पर उप- मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि एलजी के आरोप पूरी तरह निराधार और राजनीति से प्रेरित हैं। एक तरफ उन्होंने खुद दिल्ली सरकार की एक- एक फाइल रोक रखी है।
वहीं दूसरी तरफ वह हम पर मंदिरों को तोड़ने की इजाजत न देने का आरोप लगा रहे हैं? एलजी की हरकतें उनकी प्राथमिकताओं पर संदेह पैदा करती हैं। आखिर वह दिल्ली में मंदिरों पर बुलडोजर चलवाने के लिए इतने उत्सुक क्यों हैं?
विशेषाधिकार का इस्तमाल करेंगे एलजी?
Bulldoze Temples: दिल्ली सरकार के पास फाइलें पेंडिंग होने के चलते एमबी रोड, एमजी रोड, धौला कुआं- आरटीआर रोड, रिंग रोड, लोनी रोड और बुराड़ी रोड समेत कई अन्य प्रमुख सड़कों पर ट्रैफिक कंजेशन बढ़ रहा है। साथ ही दिल्ली- सहारनपुर एक्सप्रेस वे और जीपीआरए स्कीम के तहत सरकारी फ्लैट्स बनाने समेत कुछ अन्य सरकारी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के भी डिले होने की आशंका है।
इसी को देखते हुए एलजी ने गृह विभाग के प्रमुख सचिव को निर्देश देकर अवैध धार्मिक स्ट्रक्चर हटाने की परमिशन से जुड़ी सभी फाइलें अपने पास मंगा ली हैं। माना जा रहा है कि अब एलजी खुद अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए इन फाइलों पर मंजूरी दे देंगे, ताकि अवैध ढांचों को हटाया जा सके।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है कि
Bulldoze Temples: एलजी ऑफिस के सूत्रों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है कि 2009 के बाद सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करके बनाए गए धार्मिक ढांचों को हटाकर जगह खाली कराई जाए। होम डिपार्टमेंट ने 16 दिसंबर को भी डिप्टी सीएम से इन फाइलों पर मंजूरी देकर इन्हें एलजी के पास भेजने का अनुरोध किया था, लेकिन इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। उसी के बाद अब एलजी ने सभी फाइलें सीधे अपने पास मंगा ली हैं।
सिसोदिया ने कहा, जल्दबाजी नहीं कर सकते
Bulldoze Temples: सिसोदिया ने आगे कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि उप- राज्यपाल इतने संवेदनशील मामले पर राजनीति कर रहे हैं। यह विचाराधीन मामला शहर में दशकों से मौजूद कई बड़े मंदिरों सहित अन्य धार्मिक ढांचों को हटाने की मंजूरी देने से संबंधित है। धार्मिक ढांचों में कोई भी संशोधन करने का निर्णय जल्दबाजी में नहीं लिया जा सकता।
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Bulldoze Temples: उन्हें गिराने की अनुमति देना तो दूर की बात है। हम किसी भी कीमत पर नागरिकों की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाना चाहते हैं। कोई भी निर्णय लेने से पहले हम इस मामले से संबंधित सभी पहलुओं का आंकलन कर रहे हैं और ऐसी दंडात्मक कार्रवाई के प्रभाव का अध्ययन कर रहे हैं। उचित मूल्यांकन के बिना लिया गया कोई भी निर्णय समाज में प्रतिकूल स्थिति पैदा कर सकता है। हम हर पहलू की सावधानीपूर्वक जांच करने के बाद ही इस पर कोई निर्णय लेंगे।
एलजी खुद को दिल्ली के लोगों का लोकल गार्जियन कहते हैं
Bulldoze Temples: उन्होने एक बार फिर सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए विदेश भेजने का मुद्दा उठाते हुए एलजी से पूछा कि आपके लिए शिक्षकों की ट्रेनिंग ज्यादा जरूरी है या मंदिरों को तोड़ना जरूरी है? अगर एलजी खुद को दिल्ली के लोगों का लोकल गार्जियन कहते हैं, तो फिर वह सार्वजनिक हित की परियोजनाओं को मंजूरी क्यों नहीं देते हैं?
डीईआरसी के अध्यक्ष व कानूनी सलाहकारों की नियुक्ति के प्रस्तावों से जुड़ी फाइलें भी लंबे समय से उनके पास पेंडिंग पड़ी है। आखिर एलजी उन्हें पास क्यों नहीं कर रहे? उन्होंने एलजी से विनती करते हुए कहा कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार को शांति से काम करने दें।
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