BJP Crushing Defeat: मेघालय में बीजेपी की करारी हार की तीन बड़ी वजहें जानिए

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BJP Crushing Defeat: बीजेपी की मेघालय विधानसभा चुनावों में करारी हार हुई है । अपने पुराने सहयोगी एनपीपी से नाता तोड़ने के बाद बीजेपी ने राज्य की सभी 60 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे । जिसके बाद पीएम मोदी ने भी शिलांग में पार्टी की जीत के लिए हुंकार भरी थी ।

शिलांग मेघालय विधानसभा चुनाव में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा है । विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी राज्य में अपने दम पर सरकार बनाने की बात कह रही थी । लेकिन विधानसभा चुनाव के नतीजे साफ बयां कर रहे हैं कि मेघालय में मोदी मैजिक नहीं चल पाया ।

BJP Crushing Defeat
BJP Crushing Defeat

चुनाव से ठीक पहले बीजेपी ने पुराने साथी एनपीपी से अलग होकर चुनाव लड़ने का फैसला किया था । जो कि बुरी तरह से फ्लॉप साबित हुआ । वहीं पीएम मोदी ने भी मेघालय चुनाव से पहले शिलांग में बड़ी रैली की थी । इस रैली में नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा था कि,’ वो कहते हैं कि मोदी तेरी कब्र खुदेगी और देश कह रहा है कि मोदी तेरा कमल खिलेगा ।

नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा था कि

BJP Crushing Defeat: पीएम मोदी ने इस दौरान कांग्रेस और विपक्षी दलों पर हमला करते हुए कहा कि देश से परिवारवाद जाना चाहिए । एनपीपी से नाता तोड़ने के बाद बीजेपी ने मेघालय की सभी 60 सीटों पर अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे थे । ऐसे में वे तीन बड़ी वजहें जान लेते हैं जिनकी वजह से बीजेपी को मेघालय में हार का सामना करना पड़ा ।

बीजेपी के साथ कोई मजबूत क्षेत्रीय दल नहीं

BJP Crushing Defeat: मेघालय में बीजेपी की हार की बात करें तो कहीं न कहीं राज्य में किसी मजबूत दल का साथ न होना बड़ा कारण रहा । बीते चुनाव में महज दो सीटें पाने वाली बीजेपी सरकार में शामिल होने के बाद यह महसूस कर रही थी कि 5 सालों के अंदर वह राज्य में अपनी पैठ बना चुकी है ।

लेकिन बीजेपी की इसे समझने में पूरी तरह से नाकाम रही । जिसका खामियाजा विधानसभा चुनाव में हार के तौर पर बीजेपी को भुगतना पड़ा है । दरअसल बीजेपी को पार्टी की मजबूती का भरोसा हो चला था । इसी वजह से उसने राज्य की सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे थे ।

बीजेपी के पास त्रिपुरा- नगालैंड की तरह कोई सीएम चेहरा नहीं था

BJP Crushing Defeat: बीजेपी की मेघालय में हार की बात का एक बड़ा कारण यह भी रहा कि उसके पास राज्य में कोई सीएम कैंडिडेट के तौर पर चेहरा नहीं था । हालांकि बीजेपी की ओर से पूर्वोत्तर राज्यों की जिम्मेदारी काफी हद तक असम के सीएम हिमंत बिस्व सरमा ने अदा की । लेकिन पार्टी के पास त्रिपुरा और नगालैंड की तरह कोई चेहरा नहीं था । जिसे आगे रखते हुए बीजेपी मेघालय को जीतने में कामयाबी पा सके ।

“जितना कीचड़ उछालोगे, कमल उतना ही ज्यादा खिलेगा” PM मोदी

पार्टी के लिए कहीं न कहीं एक सीएम चेहरा होने का अलग ही फर्क पड़ता है । इसके साथ ही 70 फीसदी से ज्यादा ईसाई आबादी वाले मेघालय में बीजेपी का सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती साबित हुआ । विपक्ष भी इस बात को लेकर लगातार बीजेपी पर हावी रहा कि वह ईसाई विरोधी है । जिसके बाद बीजेपी की ओर से पोप और मोदी की शानदार मुलाकात के वाकये याद दिलाते हुए डैमेज कंट्रोल की कोशिश की गई ।

5 साल सरकार में एनपीपी के साथ, लेकिन चुनाव से पहले तोड़ा अलायंस

BJP Crushing Defeat: मेघालय में बीजेपी की हार का बड़ा कारण एनपीपी के साथ गठबंधन तोड़ना भी रहा । साल 2018 के मेघालय विधानसभा चुनावी नतीजों के बाद बीजेपी ने सूझबूझ का परिचय देते हुए एनपीपी और यूडीपीके साथ नाता जोड़ कांग्रेस को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया था । जिसके बाद इस बार विधानसभा चुनाव आते ही बीजेपी ने एनपीपी के साथ नाता तोड़ लिया । जो कि बीजेपी के लिए काफी हद तक नुकसानदायक साबित हुआ ।

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