Garud Commandos: यह भारतीय वायुसेना का विशेष घातक दस्ता है। दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए पहली बार गरुड़ कमांडो दस्ता 2004 के फरवरी महीने में अस्तित्व में आया था।
देश में जितनी भी कमांडो फोर्स हैं, उन सभी में सबसे लंबी ट्रेनिंग गरुड़ कमांडो(Garud Commandos) दस्ते की होती है। जानिंए इसकी विशेषताओं के बारे में। गणतंत्र दिवस परेड में भारतीय वायुसेना का विशेष कमांडो दस्ता यानी गरुड़ कमांडो पहली बार लोग देख सकेंगे। यह भारतीय वायुसेना का विशेष घातक दस्ता है।
दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए पहली बार गरुड़ कमांडो(Garud Commandos) दस्ता 2004 के फरवरी महीने में अस्तित्व में आया था। इनका मुख्य काम एयर असॉल्ट, एयर ट्रैफिक कंट्रोल, क्लोज प्रोटेक्शन, सर्च एंड रेसक्यू, आतंकरोधी अभियान, डायरेक्ट एक्शन, एयरफील्ड्स की सुरक्षा आदि में उपयोग होता है। सवाल यह उठता है कि यह गरुड़ कमांडो कैसे इतना खास है। दरअसल, हमारे देश में जितने भी कमांडो दस्ते हैं, उनमें सबसे लंबी ट्रेनिंग गरुड़ कमांडो फोर्स की होती है।
क्यों जरूरत महसूस हुई गरुड़ कमांडो दस्ते की?
Garud Commandos: आपको यह जानकार ताज्जुब होगा कि लगातार 27 सप्ताह तक कठिन ट्रेनिंग के दौर से गरुड़ कमांडो के जांबाज जवानों को गुजरना पड़ता है। ये गरुड़ कमांडो रात में हवा और पानी में मार करने में पूरी तरह सक्षम होते हैं। हवाई हमले के लिए इन्हें खासतौर से प्रशिक्षण दिया जाता है।
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इस गरुड़ कमांडो दस्ते में फिलहाल 1780 जांबाज जवान शामिल हैं। दरअसल, 2001 में जम्मू-कश्मीर में एयरबेस पर आतंकियों के हमले के बाद वायु सेना को एक विशेष फोर्स की जरूरत महसूस हुई। इसके बाद 2004 में एयरफोर्स ने अपने एयर बेस की सुरक्षा के लिए गरुड़ कमांडो फोर्स की स्थापना की।
गरुड़ कमांडो के जवानों की ट्रेनिंग
Garud Commandos: देश की सीमा पर दुश्मनों को आमने सामने मजा चखाने के लिए वायुसेना के गरुड़ कमांडो को विशेष प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। तीन साल की ट्रेनिंग के बाद ही एक गरुड़ कमांडो पूरी तरह से ऑपरेशनल कमांडो बनता है। इन गरुड़ कमांडो के जवानों की ट्रेनिंग कितनी सख्त होती है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस दस्ते को जॉइन करने वाले 30 फीसदी प्रशिक्षु शुरुआती 3 महीनों में ही ट्रेनिंग छोड़ देते हैं।
जानिए गरुड़ कमांडो कैसे करते हैं हमला?
Garud Commandos: गरुड़ कमांडो दुश्मन के बीच पहुंचकर चारों तरफ से दुश्मन से मुकाबला करते हैं। गरुड़ कमांडो कई तरह के हथियार चलाने में माहिर होते हैं। इनमें एके 47, आधुनिक एके-103, सिगसोर, तवोर असाल्ट राइफल, आधुनिक निगेव LMG और एक किलोमीटर तक दुश्मन का सफाया करने वाली गलील स्नाइपर शामिल हैं। निगेव एलएमजी से एक बार में 150 राउंड फायर किए जा सकते हैं।
घर में घुसकर करते हैं आतंकियों का सफाया
Garud Commandos: आतंकियों से मुकाबले के वक्त रूम इंटरवेंशन की कार्रवाई के दौरान गरुड़ कमांडो घर के अंदर घुसकर आतंकियों का सफाया करते हैं। शहरी क्षेत्रों में ऐसे ऑपरेशन के लिए गरुड़ कमांडो हेलीकॉप्टर के जरिए उतरते हैं। इन्हें आंतकवादरोधी ऑपरेशंस की ट्रेनिंग भी दी जाती है। आमतौर पर इन्हें वायुसेना के अहम ठिकानों की सुरक्षा का जिम्मा दिया जाता है। जहां पर सुरक्षा के हिसाब से जरूरी यंत्र लगे होते हैं।
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