Marine Marcos Commandos Rescue: अरब सागर में सोमालिया के तट पर अगवा किए गए जहाज से 15 भारतीयों को बचाकर इंडियन नेवी के जाबांज कमांडो ने फिर अपनी ताकत का लोहा मनवा लिया है. भारतीय नौसेना के स्पेशल समुद्री कमांडो यानी ‘मार्कोस’ कमांडो ने उत्तरी अरब सागर में लाइबेरिया के ध्वज वाले अगवा किए गए कमर्शियल जहाज एमवी लीला नॉरफोक पर धावा बोलते हुए शुक्रवार को 15 भारतीयों सहित चालक दल के सभी 21 सदस्यों को बचा लिया.
मार्कोस कमांडो को समंदर का सिकंदर भी कहा जाता है. पानी में मौत को मात देने में इस कमांडो को महारथ हासिल है. इनके कारनामों की वजह से इन्हें चलता-फिरता प्रेत भी कहा जाता है. मार्कोस कमांडो इंडियन नेवी की खास यूनिट है, जिन्हें पानी में दुश्मनों से लड़ने में महारथ हासिल है.
अरब सागर में सोमालिया के तट पर अगवा किए गए जहाज से 15 भारतीयों को बचाकर इंडियन नेवी के जाबांज कमांडो ने फिर अपनी ताकत का लोहा मनवा लिया है. भारतीय नौसेना के स्पेशल समुद्री कमांडो यानी ‘मार्कोस’ कमांडो ने उत्तरी अरब सागर में लाइबेरिया के ध्वज वाले अगवा किए गए कमर्शियल जहाज एमवी लीला नॉरफोक पर धावा बोलते हुए शुक्रवार को 15 भारतीयों सहित चालक दल के सभी 21 सदस्यों को बचा लिया.
Marine Marcos Commandos Rescue: इस जहाज को कुछ हथियारबंद समुद्री डकैतों ने अगवा कर लिया था. मगर भारतीय नौसेना ने भारतीय नागरिकों को बचाने के लिए एक युद्धपोत आईएनएस चेन्नई, समुद्री गश्ती विमान, हेलीकॉप्टर और पी-8आई और लंबी दूरी के विमान और प्रीडेटर एमक्यू9बी ड्रोन तैनात किए थे. मगर इन सबमें असल कारनामा मार्कोस कमांडो ने दिखाया और मौत के मुंह से सभी लोगों को बचा लिया. तो चलिए जानते हैं कि आखिर कौन हैं ये मार्कोस कमांडो.
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कौन हैं मार्कोस कमांडो
Marine Marcos Commandos Rescue: दरअसल, मार्कोस कमांडो को समंदर का सिकंदर भी कहा जाता है. पानी में मौत को मात देने में इस कमांडो को महारथ हासिल है. इनके कारनामों की वजह से इन्हें चलता-फिरता प्रेत भी कहा जाता है. मार्कोस कमांडो इंडियन नेवी की खास यूनिट है, जिन्हें पानी में दुश्मनों से लड़ने में महारथ हासिल है. वैसे तो इन्हें मार्कोस कहा जाता है, मगर आधिकारिक तौर पर इन्हें मरीन कमांडो फोर्स (MCF) कहा जाता है. पानी में स्पेशल ऑपेरशन्स के लिए ही इन्हें ट्रेंड किया जाता है. मार्कोस कमांडो को अनकंवेंशनल वॉरफेयर, होस्टेज रेस्क्यू, पर्सनल रिकवरी जैसी कई मुहिम में शामिल किया जाता रहा है.
कब अस्तित्व में आया मार्कोस कमांडो
Marine Marcos Commandos Rescue: दरअसल, मार्कोस कमांडो यानी मरीन कमांडो फोर्स का गठन साल 1987 में हुआ था. इससे पहले सत्तर के दशक में भारत-पाकिस्तान का युद्ध हुआ था. इसी दौरान इस बात की जरूरत महसूस हुई कि नेवी के पास ऐसे कमांडो की फोर्स होनी चाहिए, जो पानी में जाकर दुश्मनों के छक्के छुड़ा दे. इस सोच ने 1986 में आकार लेना शुरू किया. नेवी ने मैरीटाइम स्पेशल फोर्स की योजना शुरू की. इसका उद्देश्य ऐसे कमांडो तैयार करना था, जो खास ऑपरेशन जैसे काउंटर टेररिस्ट मुहिम चला सकें. इसके एक साल बाद यह यूनिट अस्तत्वि में आई और तब से किसी भी मुश्किल घड़ी में इसी टीम को भेजा जाता है. हालांकि, 1991 में इसका नाम ‘मरीन कमांडो फोर्स’ (MCF) कर दिया गया.
इनकी ट्रेनिंग होती है काफी टफ
Marine Marcos Commandos Rescue: मार्कोस कमांडो बनना कोई सामान्य बात नहीं है. इसकी ट्रेनिंग इतनी टफ होती है कि ट्रेनिंग के दौरान ही कई जवान हार मान जाते हैं. कहा जाता है कि इसकी ढाई से तीन सालों तक लगातार खतरानक ट्रेनिंग चलती है, जिसमें मौत से लड़ना सिखाया जाता है. इस ट्रेनिंग के दौरान जितनी सख्ती दिखाई जाती है, उतनी शायद ही सेना के किसी अन्य विंग में हो. ट्रेनिंग के दौरान जवानों को हर तरह से मजबूत बनाया जाता है और उन्हें यह सिखाया जाता है कि कैसे मौत के जबड़े से जिंदगी को छीनना है. इन्हें केवल इंडियन नेवी ही नहीं, बल्कि ब्रिटिश और अमेरिकी नेवी के ट्रेनरों से भी ट्रेनिंग दिलवाई जाती है. इस टीम में ज्यादातर 20-22 साल के युवाओं को लिया जाता है.
किन-किन ऑपरेशन्स में ले चुके हैं हिस्सा
Marine Marcos Commandos Rescue: मार्कोस कमांडो ज्यादातर पानी के भीतर के ऑपरेशन्स को अंजाम देने के लिए होते हैं. हालांकि, जरूरत के वक्त पर उन्हें अलग-अलग आपदाओं या आतंकी हमले के खिलाफ एक्शन में भी लगाया जाता है. केदारनाथ आपदा के दौरान भी इस कमांडो को देखा गया था. साल 2014 में जम्मू-कश्मीर में आई बाढ़ के दौरान भी इन कमांडोज ने अपना ताकत का परिचय दिया था. इसके अलावा, अस्सी के दशक में श्रीलंका में ‘ऑपरेशन पवन’ का भी यह टीम हिस्सा रह चुकी है.
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