First Woman Driver: आंध्रप्रदेश के नालकुंडा की 30 वर्षीय सरिता ने 15 साल की उम्र में स्कूटर चलाना सीख लिया था। तब कहां सोचा था कि वह दिल्ली में बस चलाने वाली पहली महिला होंगी।
आर्थिक तंगी के चलते पहले उन्होंने ऑटो चलाना शुरू किया, तब काफी मुश्किलें आईं। बाद में नर्स बनना चाहा मगर किसी कॉलेज में दाखिला नहीं मिला। अस्पताल में वॉर्डन की नौकरी मिली तो घर का खर्च चलने लगा।
इसी दौरान वैन, कार, बस चलाना सीखा। आंध्रप्रदेश से दिल्ली आईं और 2014 – 15 में डीटीसी में महिला ड्राइवरों की भर्ती के बारे में सूचना मिली। वहां सरिता ने आवेदन किया और चयनित हुईं। डीटीसी के अधिकारी बताते हैं महिला ड्राइवरों की भर्ती के लिए कुल 12 आवेदन आए थे। इसमें से फिलहाल सरिता का चयन हुआ है। वह एक सप्ताह डिपो में टेनिंग लेंगी उसके बाद डीटीसी बस की स्टीयरिंग थामेंगी।
अधिकारियों में इस बात की खुशी है कि सरिता को देखने के बाद और महिलाएं आगे आएंगी।
First Woman Driver: डीटीसी अधिकारी बताते हैं कि डीटीसी बोर्ड ने महिलाओं के लिए ड्राइवरों की भर्ती के लिए शर्तों में कुछ ढील दी है। डीटीसी के नियमों के अनुसार ड्राइवर के पास हैवी मोटर व्हीकल का कमर्शियल लाइसेंस होना जरूरी है और उसके पास बस चलाने का तीन साल का तजुर्बा होना जरूरी है। लेकिन महिलाओं के लिए छूट होगी।
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First Woman Driver: महिलाओं को बस चलाने के लिए ट्रेनिंग देंगे और उन्हें हैवी मोटर व्हीकल का लाइसेंस दिलवाने में भी मदद करेंगे। डीटीसी ने महिलाओं को बस चलाने के लिए तीन साल का अनुभव होने से भी छूट दी है। यदि महिलाएं टेस्ट पास कर लेंगी तो वह बस चला सकती हैं। 40 वर्ष उम्र तक की महिलाएं बस ड्राइवर के लिए निवेदन कर सकती हैं जबकि पुरुषों के लिए यह उम्र 35 वर्ष है।
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