Fake Currency Business: अगर आपका बच्चा सोशल मीडिया पर समय बिताता है, तो जरा एक बार जांच भी कर लें. कहीं आपका बच्चा नकली नोट बनाने वाले गिरोह में तो शामिल नहीं हो गया है या उसकी तरफ आकर्षित तो नहीं हो रहा है
नोएडा पुलिस ने ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो सोशल मीडिया पर ग्रुप्स बनाकर युवाओं को अपना शिकार बनाता था. यह गिरोह फेक करेंसी का काम कर रहा था. गिरफ्तार पांच आरोपियों में एक एमिटी यूनिवर्सिटी का छात्र भी है.
नोएडा. अगर आपका बच्चा सोशल मीडिया पर समय बिताता है, तो जरा एक बार जांच भी कर लें. कहीं आपका बच्चा नकली नोट बनाने वाले गिरोह में तो शामिल नहीं हो गया है या उसकी तरफ आकर्षित तो नहीं हो रहा है. नोएडा पुलिस ने ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो सोशल मीडिया पर ग्रुप्स बनाकर युवाओं को अपना शिकार बनाता था. इस ग्रुप के तार विदेश से भी जुड़े हैं.
Fake Currency Business: नोएडा सेक्टर 24 पुलिस ने मंगलवार को पांच लोगों को गिरफ्तार किया है. उनकी पहचान फैज खान( 32 वर्ष), शिबू खान( 25 वर्ष) आदित्य गुप्ता( 19 वर्ष) आयुष गुप्ता( 22 वर्ष), हरिओम अत्री( 20 वर्ष) के रूप में हुई है. जबकि इन सभी की पहचान आपस में इंस्टाग्राम और यूट्यूब कमेंट बॉक्स से ही हुई थी.
जानिए कैसे हुआ खुलासा?
Fake Currency Business: वहीं, पूरे मामले को लेकर एडीसीपी नोएडा शक्ति अवस्थी ने बताया कि पांचों के पास से 6 लाख 48 हजार रुपये के नकली नोट बरामद हुए हैं. ये सभी नकली पैसे भुनाने का काम करते थे. बदले में कुछ प्रतिशत का लाभ इनको मिलता था. ये आपस में इंस्टाग्राम पेज और यूट्यूब के कमेंट बॉक्स में बात करते थे.
एडीसीपी के मुताबिक, हरिओम नाम का व्यक्ति नकली नोट चलाते मोरना गांव में पकड़ा गया था. उससे पूछताछ में पता चला था कि उसके साथ अन्य लोग भी शामिल हैं. उसके बाद फेक करेंसी नाम के इंस्टाग्राम और उसके द्वारा बताए विभिन्न यूट्यूब चैनल के कमेंट बॉक्स को खंगाला गया.
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Fake Currency Business: इसके बाद बाकी के आरोपित पकड़े गए. एसीपी 2 नोएडा सुशील कुमार गंगा प्रसाद बताते हैं कि पकड़े गए आरोपित आदित्य गुप्ता ने पूछताछ में बताया कि वह एमिटी यूनिवर्सिटी में बीसीए की द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रहा है.
आतंकवाद से जुड़ सकते हैं तार
Fake Currency Business: एडीसीपी नोएडा शक्ति अवस्थी ने बताया कि आयुष गुप्ता एवं आदित्य गुप्ता पैसे लेकर भुनाने का काम करता था. शिबू खान सऊदी में और फैज खान कुवैत में रहकर ड्राइवर का काम करता था. भारत में वो अपने अन्य साथियों के साथ नकली पैसे का कारोबार करता था. ये दोनों ही नकली नोट सोशल मीडिया के माध्यम से संपर्क करके बाकी लोगों को सप्लाई करते थे.
एडीसीपी शक्ति अवस्थी के मुताबिक, पैसे कहां छापे जाते थे और इसमें किसका हाथ है. यह जांच का विषय है. इसके लिए एटीएस, आईबी जैसे एजेंसी को भी शामिल किया जाएगा. ये पैसे कहीं देश विरोधी गतिविधियों में तो नहीं इस्तेमाल हो रहा था, इसकी भी जांच की जाएगी. साथ ही बताया कि दो आरोपी अभी सिंघानिया और गौरव भल्ला फरार है.
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