First Woman E Rickshaw Driver: दहेज न मिलने पर पति ने छोड़ा, फिर मां और 4 बहनों के भरण पोषण के लिए ई-रिक्‍शा ड्राइवर बनीं विजयलक्ष्मी

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First Woman E Rickshaw Driver: रायबरेली जनपद के शिवगढ़ विकास क्षेत्र स्थित पिंडौली गांव की रहने वाली विजयलक्ष्मी के सिर से पिता का साया उठा तो, उन्होंने अपने पैरों पर खड़े होने की ठानी. दरअसल पिता की मौत के बाद मां किसी तरह परिवार का भरण पोषण कर रही थी

अकसर लोग बेटियों को पराया धन समझते हैं, लेकिन बेटियों ने यह सिद्ध कर दिया है कि वह किसी से कम नहीं हैं. वर्तमान परिवेश में बेटियां जहां घर के चूल्हा-चौका से निकलकर देश के विभिन्न पदों को सुशोभित कर रही हैं. ऐसा ही कुछ रायबरेली की बेटी ने भी किया जिसकी चर्चा चारों ओर हो रही है. हालांकि वह किसी सरकारी नौकरी में नहीं है बल्कि स्‍वरोजगार की वजह से महिलाओं के लिए मिसाल बन रही हैं.

First Woman E Rickshaw Driver
First Woman E Rickshaw Driver

रायबरेली जनपद के शिवगढ़ विकास क्षेत्र स्थित पिंडौली गांव की रहने वाली विजयलक्ष्मी के सिर से पिता का साया उठा तो, उन्होंने अपने पैरों पर खड़े होने की ठानी. दरअसल पिता की मौत के बाद मां किसी तरह परिवार का भरण पोषण कर रही थी,

First Woman E Rickshaw Driver: लेकिन घर की बड़ी बेटी होने के नाते यह सब देख विजयलक्ष्मी ने समाज की परवाह न करते हुए ई रिक्शा चलाना शुरू कर दिया. वह ई रिक्शा चला कर अपने परिवार का भरण पोषण करने के साथ ही अपनी दो बहनों की पढ़ाई की भी खर्च वहन कर रही हैं.

पिता के न रहने पर बेटी ने संभाला परिवार

First Woman E Rickshaw Driver: विजयलक्ष्मी बताती हैं कि लोगों को बेटियों के प्रति अपनी सोच को बदलना होगा. आज बेटियां किसी से कम नहीं है. हर क्षेत्र में बेटियां बेटों से कोसों आगे हैं. दरअसल विजयलक्ष्मी के पिता का लगभग 8 वर्ष पूर्व निधन हो गया था. इसके बाद मां रामावती किसी तरह मजदूरी करके परिवार का भरण पोषण कर रही थीं. वहीं, पिता के निधन के बाद मां रामावती ने किसी तरह वर्ष 2019 में विजयलक्ष्मी का विवाह कर दिया,

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First Woman E Rickshaw Driver: लेकिन विवाह में दहेज न दे पाने के कारण विजयलक्ष्मी को पति ने छोड़ दिया. इसके बाद विजयलक्ष्मी अपने मायके आकर रहने लगी और अपने मां के कार्य में हाथ बंटाने लगी. पांच बहनों में सबसे बड़ी होने के कारण मां के बाद विजयलक्ष्मी के कंधों पर परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी आ गई.

इसको पूरा करने के लिए उन्होंने अपने मामा की मदद से एक ई रिक्शा खरीदा और उसे चला कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं. अपनी दो बहनों की शादी की और दो बहनों की पढ़ाई का खर्च भी उठा रही हैं.

सेहंगी सेबछरावां और मोहनलालगंज तक ले जाती हैं सवारी

First Woman E Rickshaw Driver: विजयलक्ष्मी सेहंगो चौराहा से बछरावां कस्बा और फिर मोहनलालगंज तक सवारियां लेकर जाती हैं. वह बिना किसी परवाह के रिक्शा चलाते हुए लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाती हैं और महिलाओं के लिए प्रेरणा बनी हुई हैं. विजयलक्ष्मी ने कहा कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता. बेटियां आज देश सेवा में शीर्ष पदों से लेकर सेना में भी अपना अहम योगदान दे रही हैं.

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