Delhi Power Subsidy: दिल्ली में बिजली उपभोक्ताओं के सब्सिडी के मामले में उपराज्य पाल विजय सक्सेना गंभीर हैं. दरअसल, वह दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग की सलाह नहीं मानने पर निर्देश दिए हैं.
उपराज्यपाल ने ‘ गरीब और जरूरतमंद उपभोक्ताओं ’ के लिए बिजली सब्सिडी ‘ सीमित ’ करने के संबंध में दिल्ली सरकार को दी गई डीईआरसी की वैधानिक सलाह पर यह निर्देश दिया. बहरहाल, इस परामर्श को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था.
दिल्ली में बिजली उपभोक्ताओं के सब्सिडी के मामले में उपराज्य पाल विजय सक्सेना गंभीर हैं. दरअसल, वह दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग की सलाह नहीं मानने पर निर्देश दिए हैं. दरअसल, 2020 DERC ने 1- 5 किलोवाट बिजली कनेक्शन वालों को सब्सिडी की सलाह दी थी. इससे दिल्ली सरकार को 316 करोड़ रुपए की बचत हो सकती थी.
15 दिन में DERC की सलाह पर दिल्ली सरकार फ़ैसला करे
Delhi Power Subsidy: मुख्य सचिव ने इस पर एक जांच रिपोर्ट LG और सीएम अरविंद केजरीवाल को सौंपी थी. अब LG ने निर्देश दिया है कि 15 दिन में DERC( Delhi Electricity Regulatory Commission) की सलाह पर दिल्ली सरकार फ़ैसला करे.
इसे लेकर आम आदमी पार्टी ने कहा कि LG ने एक बार फिर संविधान और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन किया है. LG को BJP के राजनीतिक प्रतिनिधि की तरह व्यवहार करना बंद करना चाहिए.
मुख्य सचिव कुमार से बिजली विभाग को यह निर्देश देने को कहा
Delhi Power Subsidy: दिल्ली सरकार ने इस निर्देश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उपराज्यपाल ने एक बार फिर अपने कार्यक्षेत्र से ‘ अवैध’ तरीके से परे जाकर उच्चतम न्यायालय के निर्देशों और संविधान का उल्लंघन किया है. सक्सेना ने मुख्य सचिव कुमार से बिजली विभाग को यह निर्देश देने को कहा है कि वह डीईआरसी की सलाह मंत्रिपरिषद के समक्ष रखे और 15 दिनों के भीतर निर्णय लें.
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अधिकारियों ने कहा कि सक्सेना के निर्देश जिस रिपोर्ट पर आधारित हैं, वह कुमार ने तैयार की थी. उन्होंने बिजली वितरण कंपनियों द्वारा बिजली उत्पादन कंपनियों को बकाये का भुगतान नहीं किए जाने की शिकायतों पर गौर करते समय यह रिपोर्ट बनाई थी. इसे दिसंबर 2022 में उपराज्यपाल एवं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सौंपा गया था.
प्रति वर्ष लगभग 316 करोड़ रुपये की बचत
Delhi Power Subsidy: मुख्य सचिव ने अपनी रिपोार्ट में है कि डीईआरसी ने 2020 में दिल्ली सरकार को सिर्फ तीन या पांच किलोवाट बिजली कनेक्शन वाले उपभोक्ताओं को बिजली सब्सिडी देने की सलाह दी थी. इससे राजधानी के लगभग 95 प्रतिशत उपभोक्ता सब्सिडी के दायरे में आ जाते और सरकार को प्रति वर्ष लगभग 316 करोड़ रुपये की बचत होती.
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