Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट( Allahabad High Court) ने एक विवाहित महिला से कथित गैंगरेप रेप से जुड़े एक मामले के दो आरोपियों को जमानत दे दी ।
आरोप है कि पीड़िता के साथ 1 जुलाई 2019 को वाराणसी( Varanasi) में गैंगरेप किया गया था । इस मामले में करीब 3 माह बाद FIR दर्ज हुई थी ।
Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट( Allahabad High Court) ने एक विवाहित महिला से कथित गैंगरेप रेप से जुड़े एक मामले के दो आरोपियों को जमानत दे दी । कोर्ट ने इस बात को संज्ञान में लिया कि यौन अपराध से जुड़े मामलों में झूठे आरोप बढ़ रहे हैं । कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि इस मामले में एफआईआर दर्ज कराने में देरी हुई थी, जिसपर विचार किया जाना जरूरी है ।
तब से काफी कुछ बदल गया है
Allahabad High Court: इलाहाबाद हाई कोर्ट में जस्टिस कृष्ण पहल( Justice Krishan Pahal) की बेंच ने साल 1983 के मशहूर ‘ भारवाड़ा भोगिनभाई हिरजीभाई वर्सेस गुजरात सरकार ’( Bharwada Bhoginbhai Hirjibhaivs. State of Gujarat) मामले का जिक्र करते हुए कहा कि ‘ पिछले 40 सालों में गंगा में बहुत पानी बह चुका है और तब से काफी कुछ बदल गया है । दरअसल, इस मामले में कोर्ट ने कहा था कि ‘ सामाजिक बदनामी और लोकलाज के डर से कोई भी लड़की किसी व्यक्ति के खिलाफ यौन उत्पीड़न का झूठा मुकदमा नहीं दर्ज कराती है ’ ।
क्या है पूरा मामला?
Allahabad High Court: आरोपियों ने कोर्ट को बताया कि पीड़िता, इस मामले के याचिकाकर्ता,( पीड़िता के पति) और एक साथ एक संस्थान में काम कर रहे थे । पीड़िता इस संस्थान की राष्ट्रीय अध्यक्ष थी, जबकि उसके पति कोषाध्यक्ष थे । आरोप है कि पीड़िता के साथ 1 जुलाई 2019 को वाराणसी( Varanasi) में दोनों ने गैंगरेप किया । हालांकि पीड़िता ने अपने पति को 3 अगस्त 2019 को अपने घर मेरठ वापस लौटने के बाद इसकी सूचना दी ।
"Indian society has undergone a complete change during the last 40 years and now it is more often observed that false implication in sexual offences is on a rise" : #AllahabadHighCourt pic.twitter.com/nZUkuv5GUo
— Live Law (@LiveLawIndia) February 23, 2023
करीब 3 महीने बाद हुई थी FIR
Allahabad High Court: फिर उनके पति ने इस मामले में 5 अगस्त 2019 को मेरठ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई । बाद में मेरठ( Meerut) के एसएसपी ने मामले को वाराणसी पुलिस के पास ट्रांसफर कर दिया क्योंकि घटना वहीं की थी और पुलिस ने 9 सितंबर 2019 को एफआईआर दर्ज की । फरवरी- मार्च 2020 में दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था ।
आरोपियों ने क्या दलील दी?
Allahabad High Court: दोनों आरोपियों ने कोर्ट में दलील दी कि पीड़िता जिस वक्त संस्थान की अध्यक्ष थीं, कई अवैध गतिविधियों में लिप्त थीं । उन दोनों ने इसी अवैध कामकाज की जानकारी मांगी थी, इसीलिए उनके खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कराया गया ।
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पीड़िता के एडवोकेट की दलील से सहमत नहीं हुआ
Allahabad High Court: लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़िता के वकील ने तर्क दिया कि आरोपियों ने गैंग रेप जैसे बहुत गंभीर अपराध को अंजाम दिया और भारतीय समाज में यह संभव नहीं है कि कोई महिला गैंग रेप का झूठा मुकदमा दर्ज कराए । उन्होंने दलील दी कि एफआईआर में देरी इसलिए हुई, क्योंकि पीड़िता बहुत ज्यादा मानसिक दबाव में थी । हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट( Allahabad High Court) पीड़िता के एडवोकेट की दलील से सहमत नहीं हुआ, और दोनों आरोपियों को जमानत दे दी ।
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