Ganga Water Level: हरिद्वार हर की पौड़ी में डूबकी लगाने को तरस रहे श्रद्धालु, गंगा घाटों में पानी नहीं, जानिये क्या क्या हैं कारण

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Ganga Water Level: हरिद्वार में इन दिनों हर की पैड़ी और दूसरे गंगा घाटों पर गंगा में डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालु भटक रहे हैं। धर्म नगरी में चल रही गंगा बंदी के कारण तमाम श्रद्धालु निराश हो रहे हैं तो वहीं हर की पैड़ी के ब्रह्मकुंड सहित अन्य गंगा घाट जलविहीन हो गए हैं।

हरिद्वार में हर की पैड़ी पर जलविहीन गंगा इन दिनों झुग्गी-झोपड़ियों के बच्चे, किशोर-किशोरियां के लिए धन जुटाने का साधन बनी हुई है। गंगा में जल नहीं(Ganga Water Level) होने के कारण जहां श्रद्धालुओं को गंगा में डुबकी लगाने से वंचित होना पड़ रहा है, दूसरी ओर एक तबके के लिए यह गंगा बंदी वरदान साबित हो रही है।

Ganga Water Level
Ganga Water Level

हरिद्वार: हरिद्वार में इन दिनों हर की पैड़ी और दूसरे गंगा घाटों पर गंगा में डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालु भटक रहे हैं। धर्म नगरी में चल रही गंगा बंदी के कारण तमाम श्रद्धालु निराश हो रहे हैं तो वहीं हर की पैड़ी के ब्रह्मकुंड सहित अन्य गंगा घाट जलविहीन हो गए हैं।

Ganga Water Level:  हर की पौड़ी पर जल विहीन गंगा के होने से कल शरद पूर्णिमा पर भी श्रद्धालुओं को डुबकी लगाकर पुण्य लाभ अर्जित करने से वंचित होना पड़ेगा। वही गंगा में जल नहीं होने के कारण यहां से सोना, चांदी, धातु की मूर्तियों और सिक्कों की तलाश में लोग खूब जुटे हुए हैं।

हर साल दशहरे से दीपावली तक वार्षिक मेंटीनेंस के लिए बंद

Ganga Water Level: हरिद्वार के भीमगोडा बैराज से कानपुर तक जाने वाली उत्तराखंड गंग नहर को हर साल दशहरे से दीपावली तक वार्षिक मेंटीनेंस के लिए बंद कर दिया जाता है। हरिद्वार के हर की पौड़ी में भी जल इसी बैराज से पहुंचता है।

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Ganga Water Level:  गंग नहर को बंद करने के कारण इस अवधि में गंगा सूख जाती है और इस वजह से लोगों को स्नान करने में भी परेशानी होती है। उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग द्वारा दशहरा से दीपावली तक के लिए गंगा बंदी कर दी गई है। इस दौरान सिंचाई विभाग गंग नहर की सफाई करवाने के साथ ही नहर के चैनलों में हुई टूट-फूट को भी ठीक करवाएगा।

यूपी सिंचाई विभाग पर लगे आरोप

Ganga Water Level: उधर हरिद्वार की हर की पौड़ी का संचालन करने वाली श्री गंगा सभा ने उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के इस निर्णय पर नाराजगी जताई है। श्री गंगा सभा और उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के बीच गंगा बंदी के दौरान हर की पौड़ी पर 400 क्यूसेक पानी दिए जाने का एक समझौता है।

इसके तहत गंगा बंदी के दौरान हर की पौड़ी पर डुबकी लगाने के लिए पर्याप्त जल मिल जाता, लेकिन तीर्थ पुरोहित हर साल सिंचाई विभाग के अधिकारियों पर समझौते का पालन न करने का आरोप लगाते हैं। गंगा सभा ने यूपी सिंचाई विभाग के अधिकारियों से पर्याप्त गंगा जल छोड़ने की बात की है और विभाग की ओर से उन्हें आश्वासन भी मिला है।

सोना-चांदी और सिक्कों की तलाश

Ganga Water Level:  वहीं यह गंगा बंदी धर्म नगरी के एक तबके के लिए बेहद खुशियां लेकर आती है। गंगा बंदी के बाद से ही यहां झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले बच्चे, किशोर-किशोरियों का झुंड हर की पौड़ी पर गंगनहर में उतरा हुआ दिखाई देता है। लगभग 200 की संख्या में उनकी दिनचर्या नदी के तल पर सिक्के और श्रद्धालुओं द्वारा गंगा में डाली गई सोने, चांदी, धातु की मूर्तियां और बर्तनों की खोज में पूरा दिन निकल जाता है।

यहां खजाना खोजने के लिए यह बच्चे दिन-रात एक कर देते हैं। हालांकि नदी के तल पर कांच के टुकड़े और कई नुकीली वस्तुओं के कारण गंदगी को छानना इन लोगों के लिए आसान नहीं होता है, लेकिन खजाने की तलाश में यह बच्चे इन परेशानियों को भी भूल जाते हैं।

दशहरे के बाद हुई गंगा बंदी

Ganga Water Level:  जलविहीन गंगा को देखकर जहां श्रद्धालुओं में मायूसी झलक रही है। वहीं हजारों लोगों के लिए यह गंगा बंदी इस समय धन और वैभव जुटाने का साधन बनी हुई है। हजारों लोग नहर में पैसा, सोना, चांदी खोजने में जुटे हुए हैं। दशहरे की मध्य रात्रि से गंगा बंदी हो गई थी। इसके बाद दूसरे दिन सुबह सवेरे ही हर की पौड़ी, ब्रह्मकुंड और अन्य गंगा घाटों पर सिक्के के साथ ही अन्य धातु के सामान चुनने वालों की भीड़ लगी हुई है।

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