Prithviraj Chauhan: सम्राट पृथ्वीराज चौहान से जुडा इतिहास एवं 15 रोचक तथ्य

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Prithviraj Chauhan: आज की पिढी सम्राट पृथ्वीराज चौहान की गाथाओ के बारे मे बहुत कम जानती है तो आइए जानते है सम्राट पृथ्वीराज चौहान से जुडा इतिहास एवं रोचक तथ्य

Prithviraj Chauhan:
Prithviraj Chauhan:

पृथ्वीराज के शासनकाल के दौरान के शिलालेख संख्या में कम हैं और स्वयं राजा द्वारा जारी नहीं किए गए हैं। उनके बारे में अधिकांश जानकारी मध्ययुगीन पौराणिक वृत्तान्तों से आती है। तराइन की लड़ाई के मुसलमान खातों के अलावा हिन्दू और जैन लेखकों द्वारा कई मध्ययुगीन महाकाव्य में उनका उल्लेख किया गया है। इनमें पृथ्वीराज विजय, हम्मीर महावाक्य और पृथ्वीराज रासो शामिल हैं।

यह अतिरंजित लेखनों से भरा है

Prithviraj Chauhan: इन ग्रन्थों में स्तुतिपूर्ण सम्बन्धी विवरण हैं और इसलिए यह पूरी तरह से विश्वसनीय नहीं हैं पृथ्वीराज विजय पृथ्वीराज के शासनकाल से एकमात्र जीवित साहित्यिक पाठ है। पृथ्वीराज रासो जिसने पृथ्वीराज को एक महान राजा के रूप में लोकप्रिय किया को राजा के दरबारी कवि चंद बरदाई द्वारा लिखा कहा जाता है। हालांकि, यह अतिरंजित लेखनों से भरा है जिनमें से कई इतिहास के उद्देश्यों के लिए बेकार हैं।

पुरा नाम :- पृथ्वीराज चौहान
अन्य नाम :- राय पिथौरा
माता/पिता :- राजा सोमेश्वर चौहान/कमलादेवी
पत्नी :- संयोगिता
जन्म :- 1149 ई.
राज्याभिषेक :- 1169 ई.
मृत्यु :- 1192 ई.
राजधानी :- दिल्ली, अजमेर
वंश :- चौहान (राजपूत)
  • प्रथ्वीराज चौहान ने 12 वर्ष कि उम्र मे बिना किसी हथियार के खुंखार जंगली शेर का जबड़ा फाड़ ड़ाला था ।
  • पृथ्वीराज चौहान ने 16 वर्ष की आयु मे ही महाबली नाहरराय को युद्ध मे हराकर माड़वकर पर विजय प्राप्त की थी।
  • पृथ्वीराज चौहान ने तलवार के एक वार से जंगली हाथी का सिर धड़ से अलग कर दिया था ।
  • महान सम्राट प्रथ्वीराज चौहान कि तलवार अत्यधिक वजनदार थी और उसे वे एक हाथ से सहजतापूर्वक चलाते थे ..सुनने पर विश्वास नहीं हुआ होगा किंतु यह सत्य है
  • सम्राट पृथ्वीराज चौहान अनेक अभेद्य व्यूहरचनाओं जानते थे।
  • महान सम्राट पृथ्वीराज चौहान Prithviraj Chauhan का राज्याभिषेक मात्र 20 वर्ष की अल्पायु में हुआ ।
  • प्रथ्वीराज चौहान 1166 ई. मे अजमेर की गद्दी पर बैठे और तीन वर्ष के बाद यानि 1169 मे दिल्ली के सिंहासन पर बैठकर पूरे हिन्दुस्तान पर राज किया।

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  • सम्राट पृथ्वीराज चौहान का विवाह संयोगिता के साथ हुआ।
  • पृथ्वीराज चौहान ने महमुद गौरी को 16 बार युद्ध मे हराकर जीवन दान दिया था और 16 बार कुरान की कसम खिलवाई थी ।
  • गौरी ने 17 वी बार मे चौहान को धौके से बंदी बनाया और अपने देश ले जाकर चौहान की दोनो आँखे फोड दी थी । उसके बाद भी राजदरबार मे पृथ्वीराज चौहान ने अपना मस्तक नहीं झुकाया था।
  • महमूद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान को बंदी बनाकर अनेको प्रकार की पीड़ा दी थी और लंबे समय तक भूखा रखा था फिर भी सम्राट की मृत्यु न हुई थी ।
  • सम्राट पृथ्वीराज चौहान की सबसे बड़ी विशेषता यह थी उन्हें शब्द भेदी बाण की कला ज्ञात थी। जो की अयोध्या नरेश “राजा दशरथ” के बाद के बाद कतिपय उन्हें ही हस्तगत हुई थी।
  • पृथ्वीराज चौहान ने महमुद गौरी को उसी के भरे दरबार मे शब्द भेदी बाण से मारा था ।

Prithviraj Chauhan: गौरी को मारने के बाद भी वह दुश्मन के हाथो नहीं मरे

Prithviraj Chauhan: अर्थार्त अपने मित्र चन्द्रबरदाई के हाथो मरे, दोनो ने एक दुसरे को कटार घोंप कर मार लिया.. क्योंकि और कोई विकल्प नहीं था । दुख होता है ये सोचकर कि वामपंथीयो ने इतिहास की पुस्तकों में टीपुसुल्तान, बाबर, औरँगजेब, अकबर जैसे हत्यारो के महिमामण्डन से भर दिया और पृथ्वीराज जैसे योद्धाओ को नई पीढ़ी को पढ़ने नही दिया बल्कि इतिहास छुपा दिया गया

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