Saffron Cultivation: केसर ( Kesar ) के लिए अभी तक कश्मीर ( Kashmir ) की वादियों को मुफीद माना जाता था. पूरे देश में केसर ( saffron ) की आपूर्ति कश्मीर से ही होती है. किंतु अब कश्मीर को भी टक्कर दे कर चतरा में भी बड़े पैमाने पर केसर की खेती की जाने लगी है.
दरअसल जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर पर सिमरिया प्रखंड के चलकी और सेरंगदाग गांव में गरीबी का दंश झेल रहे महिलाओं ने जेएसएलपीएस संस्था ( JSLPS Institute ) की मदद से केसर की खेती कर गरीबी दूर करने की ठान ली है.
Saffron Cultivation: जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर पर सिमरिया प्रखंड के चलकी और सेरंगदाग गांव में गरीबी का दंश झेल रहे महिलाओं ने जेएसएलपीएस संस्था की मदद से केसर की खेती कर गरीबी दूर करने की ठान ली है. इस गांव की महिलाएं केसर की खेती कर देशभर की महिलाओं के लिए मिसाल बन गईं है. इन महिलाओं ने पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान को साकार करने में जुटी है.
Saffron Cultivation: यहां की महिलाओं ने अक्टूबर में केसर लगाया था. छह से सात माह में केसर तैयार हो जाता है. इससे महिलाएं अच्छी आमदनी पाकर मालामाल हो सकती हैं. इन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा बने जेएसएलपीएस संस्था जहां से महिलाओं को केसर की खेती करने की प्रशिक्षण मिली.
जेएसएलपीएस से केसर की खेती का प्रशिक्षण लिया
Saffron Cultivation: गांव की महिला सरिता देवी ने कहा कि जेएसएलपीएस के समूह से जुड़कर केसर की खेती करने का प्रशिक्षण लिया. जिसके बाद ऋण लेकर केसर के बीज खरीदा. वहीं दूसरी ओर राजकुमारी देवी ने बताया कि गांव की महिलाओं के कहने पर समूह से जुड़ने के बाद तीस हजार का ऋण लेकर केसर का बीज खरीद कर खेती कर रहे हैं.
तरा में पहली बार महिलाओं ने केसर की खेती करना शुरू किया है. इस केसरिया सोने की खेती से यहां की महिलाओं को लागत से 25 गुना मुनाफा होने की उम्मीद है.
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